हमारे साहित्य और संस्कति के बिना आजकल की पत्रकारिता अधूरी : अनिल सक्सेना

बाड़मेर / राजस्थान- राजस्थान मीडिया एक्शन फोरम के तत्वावधान में शनिवार को भारतीय साहित्य संस्कृति और मीडिया विषय पर परिचर्चा आयोजित की गई। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार अनिल सक्सेना ने कहा कि हमारे साहित्य और संस्कति के बिना आजकल की पत्रकारिता अधूरी है । उन्होंने कहा कि जिस तरह से समाज की दूसरी संस्थाओं में परिवर्तन आया है उसी तरह साहित्य,संस्कृति और मीडिया में भी परिवर्तन आया है।

सक्सेना ने कहा कि राजस्थान मीडिया एक्शन फोरम के माध्यम से प्रदेश के प्रत्येक विधानसभा क्षेत्रों में समाज के विभिन्न घटकों से परिचर्चाऐं आयोजित कर उनमें समन्वय स्थापित करते हुए आज बाड़मेर विधानसभा क्षेत्र के बुद्धिजीवियों से रूबरू हो रहे हैं।

उन्होंने कहा कि जीवन में सीखना अनवरत चलता रहता है। भारतीय साहित्य संस्कृति और मीडिया में अटूट संबंध है इन्हें कभी भी अलग नहीं किया जा सकता। इन तीन घटकों में पढ़ना लिखना बहुत आवश्यक है यदि हम किताबों को पढ़ेंगे नहीं तो आगे बढ़ना इस हाइटेक प्रणाली में संभव नही है। आजादी से पहले पत्रकारिता के मिशन का एकमात्र उद्देश्य था आजादी का लेकिन 1947 के बाद से समाज में जागरूकता स्थापित करते हुए समाज साहित्य और संस्कृति का विकास एक मिशन बनकर सामने आया है। सक्सेना ने कहा कि हमारी संस्कृति अक्षुण्ण है और इस पर समय की कितनी ही मार क्यों न पड़े उसे कोई क्षति नहीं पहुंचा सकता है । हम आधुनिकता का बहाना बनाकर अपनी संस्कृति को बुरा भला नहीं कह सकते हैं। क्योंकि हमारी संस्कृति में हमारे जीवन का मूल आधार है।

समारोह में मुख्य अतिथि पद से बोलते हुए एएसपी सत्येंद्रपाल सिंह ने कहा कि भारतीय संस्कृति बहुत वृहद और प्राचीन है। सिंधु घाटी सभ्यता और हड़प्पा सभ्यता हमारी संस्कृति के महत्वपूर्ण घटक है। वर्तमान समय में मीडिया की बात करें तो मीडिया इस परिपेक्ष में बहुत नया है , बदलते समय में व्यक्ति को जीवन में सफल होने के लिए व्यवहारिकता और परिवर्तन बहुत ही आवश्यक है। जीवन में समन्वय नहीं होगा तो जीवीकोपार्जन में भी कठिनाई आएगी। उन्होंने कहा कि बाड़मेर में इस तरह की परिचर्चाओं में बुद्धिजीवियों को सम्मिलित करने से समाज को एक नई दिशा मिलेगी ।

इससे पूर्व मंचासीन अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के तस्वीर के समक्ष दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया । मंचासीन अतिथियों का शहर के गणमान्य नागरिकों द्वारा माल्यार्पण कर अभिनंदन किया गया।
स्वागत उद्बोधन में वरिष्ठ पत्रकार दुर्गसिंह राजपुरोहित ने कहा कि राजस्थान मीडिया एक्शन फोरम का गठन 2010 में हुआ था। उसके बाद निरंतर इस संस्थान ने सामाजिक सरोकारों के तहत साहित्यकारों कलाकारों और मीडिया के विभिन्न घटकों के बीच संबंध स्थापित करने का सराहनीय कार्य किया है। राजपुरोहित ने कहा कि 2022 के बाद से अब यह फोरम प्रत्येक विधानसभा में बुद्धिजीवियों से रूबरू होता है। यह संस्था एक मिशन के रूप में कार्य करता है और इस मिशन का मुख्य उद्देश्य समाज के मुख्य स्तंभों में सामंजस्य स्थापित करना है।

परिचर्चा को आगे बढ़ाते हुए वरिष्ठ साहित्यकार डॉक्टर बीडी तातेड़ ने कहा कि हम लोग इन साहित्य संस्कृति और पत्रकारिता को कैसे जिंदा रखते हैं और आने वाली पीढ़ी को कैसे हस्तांतरित कर सकते हैं इस मुद्दे पर बात होनी चाहिए। साहित्यकार वह है जो सत्ता की व्यवस्था के विरुद्ध आवाज उठाता है और यही सरोकार पत्रकार का भी होना चाहिए। डॉक्टर तातेड़ ने कहा की संस्कृति अर्थात संस्कार हमें पीढ़ी दर पीढ़ी प्राप्त हो रहे हैं जिनका अब धीरे-धीरे हास हो रहा है। लॉर्ड मैकाले ने भारतीय शिक्षा और संस्कृति को बहुत क्षति पहुंचाई है । हमारी प्राचीन संस्कृति में हमारे गुरुओं ने हमें अस्त्र और शास्त्र दोनों की शिक्षा दी है।आधुनिक युग में यह शस्त्र अब तकनीकी कौशल है जिसकी सहायता से हम जमाने में आगे बढ़ सकते हैं । परिचर्चा के अगले चरण में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ आदर्श किशोर जाणी ने कहा कि संस्कृति जीवंत है और हमारी संस्कृति में धैर्य एक मुख्य घटक है । हमारे मूल्यों को महत्व देना ही हमारा संस्कार है। समय के साथ चलते-चलते हमें मूल्यों को कभी नहीं छोड़ना चाहिए ।

वरिष्ठ पत्रकार धर्मसिंह भाटी ने कहा कि पत्रकारिता समाज में एक अपना अलग महत्व रखता है । पत्रकार और राजनीति की स्थिति समाज में गंभीरता से ली जाती थी जो अब नहीं है। वर्तमान में हर व्यक्ति अपने आप में एक पत्रकार है सबके पास मोबाइल फोन है और इसका दुष्परिणाम हम सब देख रहे हैं। वर्तमान का दौर संक्रमण का दौर है इससे बाहर निकालने की सख्त जरूरत है।

इस दौरान जिला मुख्यालय पर कवि सम्मेलन करने वाले कवियों और आमजनता की आवाज उठाने वाले पत्रकारों ने सर्दियाँ के मौसम में भी परिचर्चा के दौरान चार चांद लगा कर कार्यक्रम में खूब तालियाँ बटोरी।

– राजस्थान से राजूचारण

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