वाराणसी/जंसा -आध्यात्मिक नगरी काशी विश्व में एक ऐसी नगरी है जहाँ मनुष्यो से अधिक देवता वास करते है।कोई भी देवता ऐसा नही जिसका कोई न कोई मन्दिर काशी में न हो।विश्वनाथ की नगरी काशी में व्रत,त्योहार,धार्मिक कर्मकाण्ड,स्नान दर्शन पर्व है उन्हें अंगुलियो पर नही गिना जा सकता।काशी के हृदय स्थली मणिकर्णिका से अस्सी तक घाट-घाट के यात्रा करने का विधान है।कंदवा,भीमचण्डी,रामेश्वर,शिवपुर व कपिलधारा नाम से जाना जाता है।हर पड़ाव स्थलो पर विशाल मन्दिर व तीर्थ यात्रियों के ठहरने के लिए धर्मशालाये स्थित है।पंचकोशी यात्रा से एक दिन पूर्व व्रत धारण करके दूसरे दिन ढूंढी राव के दर्शन पूजन के बाद मणिकर्णिका घाट के पास स्नान एवं ज्ञानवापी के मण्डप में पंचकोशी यात्रा का संकल्प लिया जाता है।काल भैरव के दर्शन पूजन के पश्चात मणिकेश्वर का दर्शन पूजन और मार्ग में ललितेश्वर,सोनेश्वर,शुलटनकेश्वर,सर्वेश्वर,अर्ध विनायक के दर्शन के बाद दुर्गा कुण्ड में स्नान,दुर्गा जी का दर्शन पूजन करने के बाद लंका होते हुए कर्माजीतपुर प्रस्थान करने का विधान है।इसी क्रम में पाँच दिन की यात्रा भीमचण्डी,रामेश्वर,शिवपुर,कपिलधारा में स्थित देव मन्दिरो में दर्शन पूजन कर मणिकर्णिका घाट पहुँच कर यात्रा संकल्प पूरा करते है।
आज गुरूवार को तीर्थ यात्रियों का दल पंचकोशी के तृतीय पड़ाव रामेश्वर महादेव धाम पहुँचा।वरुणा में स्नान कर बाबा के दरबार में मत्था टेका अन्य देवालयों में दर्शन पूजन किया।इसके बाद तीर्थ यात्री भोजन(प्रसाद)बनाने का कार्य कर बाबा को भोग लगाया और ग्रहण किया।शायं में पुनः दर्शन पूजन कर साक्षी विनायक,असंख्यात शिव लिंग व पञ्च शिवाला मन्दिर में दर्शन कर अगले पड़ाव शिवपुर के लिए तीर्थ यात्रियों का दल प्रस्थान किया।तीर्थ पड़ाव स्थल रामेश्वर में जिला प्रशासन द्वारा पेयजल,साफ-सफाई,स्वाथ्य शिविर,प्रकाश ब्यवस्था,सुरक्षा एवं अन्य ब्यवस्थाये करायी गयी है।राधा कृष्ण मन्दिर के महंत राममूर्ति दास उर्फ मद्रासी बाबा,पुजारी अन्नू तिवारी ने कहा की अधिक मॉस में भगवान विष्णु या श्री कृष्ण की उपासना,जप,व्रत,दान आदि करना चाहिये।सारे काम भगवान को प्रसन्न करने के लिए निष्काम भाव से किये जाते है।इससे प्राणी में पवित्रता का संचार होता है।
-जंसा से एस के श्रीवास्तव विकास की रिपोर्ट*