उत्तराखंड से आई टीम ने ‘अलग पहचान’ का मंचन कर किन्नर समाज की पीड़ा का खींचा सजीव खाका

बरेली। रंगालय एकेडमी ऑफ आर्ट एंड कल्चर सोसाइटी द्वारा आयोजित 15 दिवसीय थिएटर फेस्ट के तीसरे दिन तन्वी थिएटर कोटद्वार उत्तराखंड द्वारा नाटक ‘अलग पहचान’ का मंचन किया गया। लोक खुशहाली चैरिटबल ट्रस्ट सभागार में चल रहे थिएटर फेस्ट में प्रस्तुत नाटक “अलग पहचान” में लेखक ने किन्नर समाज की पीड़ा का सजीव खाका खींचा।

नाटक की थीम :

नाटक का ताना बाना इस मर्म को दर्शाने की कोशिश करता है कि हमारा सभ्य और सुसंस्कृत समाज किन्नरों को मात्र मनोरंजन का जरिया ही समझता है। लेकिन कभी भी उन्हें मुख्य धारा से जुड़ा नही मानता।
नाटक की शुरुआत एक परिवार मे जन्म लेने वाले बच्ची से शुरु होती है माँ बाप प्यार से उसका नाम सलोनी रखते है जैसे जैसे वो बड़ी होती है तो उसकी हरकतों से घरवालों को पता चलता है कि वो एक किन्नर है। माँ बाप ये बात समाज से छुपाते है लेकिन ये बात पता चलते ही किन्नर उसे अपने साथ ले जाने के लिए आते है तो माँ बाप उसे नही ले जाने देते।लेकिन समाज के लोग ताने मार-मार कर घरवालों का जीना दुश्वार कर देते है तो सलोनी खुद हो घर छोड़ कर चली जाती है उसे लगता है कि उसकी वजह से समाज उसके परिवार को नही जीने दे रहा। सलोनी अकेले रहकर शिक्षित होकर समाज के इस मिथक को तोड़ देती है कि किन्नर हमारे की मुख्य धारा का हिस्सा नही है। सलोनी जिसे समाज ने ठुकरा दिया था किन्नरों के समाज की तरक्की के कार्यो मे लग कर अपनी अलग पहचान कायम करती है।

आज तीसरे दिन कार्यक्रम में पार्षद राजेश अग्रवाल, डॉ. विनोद पागरानी, डॉ. एम.खान अतिथि रहे। शैलेन्द्र कुमार, शालिनी गुप्ता, सविता यादव, अजय गौतम, सचिन श्याम भारतीय आदि का विशेष सहयोग रहा।

– बरेली से सचिन भारतीय

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