टीबी के उन्मूलन में समाज के हर वर्ग का होना चाहिए सहयोग : सिविल सर्जन
 

  • समाहरणालय सभागार में हुई डिस्ट्रीक्ट टीबी फोरम की बैठक 
  • 150 प्राइवेट  चिकित्सक जिले में करते हैं टीबी नोटिफिकेशन 

वैशाली/बिहार- टीबी अब लाइलाज नहीं है। इसका पूर्ण उपचार अब जिले में ही उपलब्ध है। एक साधारण सी टीबी तब जानलेवा बन जाती है, जब न तो इसे हम शुरुआत में पहचान पाते है और न ही इसका उचित इलाज ही करा पाते हैं। इसलिए भी समाज के हर वर्ग से यह अपेक्षा है कि वह टीबी के लक्षणों के बारे में जाने और नए टीबी मरीजों को खोजने में सहयोग करे। ये बातें समाहरणालय के सभागार में सिविल सर्जन डॉ श्याम नंदन प्रसाद ने जिला स्तरीय टीबी फोरम की बैठक में सोमवार को कही। ओएसडी राजीव कुमार की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में डब्ल्यूएचओ के डॉ कुमार विजेन्द्र सौरव ने पीपीटी के माध्यम से 2022 में जिले में टीबी की स्थिति के विवरण को प्रस्तुत किया। डॉ सौरव ने कहा कि जिले ने अपने कुल लक्ष्य का 84 प्रतिशत नए टीबी रोगियों की खोज की है। इसके साथ ही कुल टीबी मरीजों में 91 प्रतिशत लोगों का एचआईवी टेस्ट और 88 प्रतिशत डायबिटीज मरीजों का टेस्ट किया है। 2022 तक जिले के 59 प्रतिशत मरीजों को निक्षय पोषण योजना की राशि प्राप्त हो चुकी है। बैठक की अध्यक्षता करते हुए ओएसडी राजीव कुमार ने कहा कि टीबी उन्मूलन में हर एक का अहम रोल है , हमें अपने रोल को पहचान कर उसमें जी जान से जुट जाना चाहिए। ओएसडी ने जेल में भी टीबी स्क्रीनिंग की बात कही।
 
हर प्रखंड में है जांच की व्यवस्था: 

पीपीटी के दौरान डॉ सौरव ने बताया कि जिले में कुल 16 माइक्रोस्कोप, 5 ट्रू नेट मशीन और तीन सीबी नेट मशीन उपलब्ध है। इसके अलावा भी सभी प्रखंडों में एक्स रे के द्वारा भी टीबी मरीजों की जांच की जाती है। वहीं ड्रग रेजिस्टेंट मरीजों की 20 तरह की जांच जिले में उपलब्ध है। डॉक्टर फॉर यू के डॉ रावत ने बताया कि उनकी संस्था के द्वारा जिले में 150 प्राइवेट डॉक्टर टीबी मरीजों को नोटिफाई कर रहे हैं।
 
टीबी प्रिवेन्टिव थेरेपी की शुरुआत वैशाली से:
 
बैठक के दौरान सीडीओ डॉ एसपी सिंह ने कहा कि वैशाली राज्य का पहला ऐसा जिला है जहां से टीबी प्रिवेन्टिव थेरेपी की शुरुआत हुई। इसमें टीबी मरीजों के परिवार  के लोगों को एक दवा दी जाती है, ताकि उनमें टीबी का संक्रमण न फैले पाए। इसके अलावा जो मरीज अपनी दवा को नियमित रखते हैं उनके परिवार को 70 प्रतिशत संक्रमण का खतरा कम रहता है। बैठक के दौरान बिदुपुर के टीबी चैंपियन अभिनंदन ने भी अपने टीबी अभियान में बढ़ते कदम के बारे में बात की। उन्होंने समाज में टीबी पर बात को जरूरी माना।
 
इंडस्ट्रीज बनें निक्षय मित्र:
 
बैठक के दौरान हाजीपुर स्थित इंडस्ट्रीज से निक्षय मित्र बनने के लिए अनुग्रह करने पर एकमत थे। इससे पहले कन्हाई सेवा सदन द्वारा 25 टीबी मरीजों को गोद लिया गया है। इसके अलावा स्वास्थ्य परामर्शी सुरेन्द्र पासवान द्वारा भी कुछ दिनों में छह टीबी मरीजों को गोद लेने की घोषणा की गयी है। मौके पर सिविल सर्जन डॉ श्यामनंदन प्रसाद, सीडीओ डॉ एसपी सिंह, वार्ड सदस्य, टीबी चैंपियन, एडवोकेट, सीनियर डीपीएस राजीव कुमार, डॉक्टर फॉर यू से डॉ एसके रावत सहित अन्य लोग उपस्थित थे।

– बिहार से नसीम रब्बानी

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