*दान पुण्य कर मोक्ष की किया कामना
प्रयागराज। माघ पूर्णिमा के दिन स्नान और दान का काफी ज्यादा महत्व होता है। इसे माघी पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन शनि से संबंधित वस्तुओं का दान करना चाहिए। वहीं प्रयागराज के संगमस्थल पर आज श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही।
माघ माह में पड़ने वाली पूर्णिमा को माघ पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। पौष पूर्णिमा से माघ पूर्णिमा के बीच माघ स्नान किया जाता है। माघ पूर्णिमा के दिन सभी सरोवरों, तीर्थस्थानों, नदियों अथवा घर पर ही शुद्धता पूर्वक स्नान करने की महत्ता बताई गई है। माघ पूर्णिमा पर अनेक तीर्थ स्थानों के तटों पर मेलों का आयोजन किया जाता है। धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से माघ पूर्णिमा का विशेष महत्व बताया गया है।
प्रयागराज के संगम तट पर लगे आस्था के मेले में माघी पूर्णिमा का स्नान पर्व पर लाखों श्रद्धालु त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगाई। मेले में सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम भी किए गए। माघ मेले का यह पांचवा स्नान है भारी संख्या में श्रद्धालु त्रिवेणी पर आस्था की डुबकी लगाने पहुंचे। माघी पूर्णिमा के इस स्नान पर्व के साथ ही संगम की रेती पर एक महीने से तम्बुओं में रहकर कल्पवास कर रहे लाखों कल्पवासियों के कल्पवास का समापन भी हो जाएगा। श्रद्धालु विदा होने से पहले संगम पर भक्ति में लीन है। अपना घर परिवार छोड़कर एक महीने से संगम की रेती में संयम और संकल्प के साथ पूजा अर्चना कर रहे हैं। यहां जुटे लाखों कल्पवासी भी आज ही के दिन इस कामना के साथ अपने घर लौट जायेंगे की अगले बरस गंगा मैय्या उन्हें दुबारा कल्पवास करने के लिए बुलाएगी।
– सुनील चौधरी