गत 1 जुलाई 2017 से लागू एवं प्रभावी माल एंव सेवाकर प्रणाली प्रारम्भ के पहले 5 वर्षो में काफी दुविधापूर्ण एवं तनावपूर्ण साबित होते रहे। लेकिन अब देखने में आ रहा है कि सरकार इन दुविधाओं एवं तनावपूर्ण व्यवस्थाओं में सुधार का मन बनाते हुए ऐसी व्यवस्थाओं मंे अतिशीघ्र ही राहत देने का मन बना चुकी है।
आप सभी की लम्बे समय से मांग थी कि मासिक रिटर्न जीएसटी आर-3बी को रिवाईज करने की सुविधा देनी चाहिए, तो आपने पढ़ा होगा कि जीएसटी परिषद की पिछली बैठक में उक्त रिटर्न को रिवाईज करने की सुविधा पर आप सभी के सुझाव आमंत्रित किये थे। मैं नहीं कह सकता है कि आपने सुझाव भेजें या नहीं, लेकिन हमारे द्वारा सुझाव भेजे गये, जिसके साक्षेप में हमको जीएसटी परिषद का दिनांक 3 नवम्बर 2022 को पत्र प्राप्त हुआ, पत्र में बताया गया कि हमारे सुझाव को परिषद की पाॅलिसी विंग में प्रेषित कर दिया गया है। हमको विश्वास है कि आगामी बैठक में इस बिन्दु पर अवश्य ही राहत मिलेगी।
इसी क्रम में एक्ट में खरीद के विरु( क्लेम की जाने वाली आई.टी.सी. की राहते देने में मामले में सरकार बहुत गंभीर थी और इस कृत्यों को फ्राॅड की श्रेणी में ला दिया था, इस फ्राॅड के चलते गिरफ्तारी एवं अन्य कड़े प्रावधानों की व्यवस्था करती जा रही थी, परन्तु इस संदर्भ में समाचार मिल रहे हैं कि इस बिन्दु पर सरकार शीघ्र ही कुछ न कुछ राहत प्रदान करने जा रही है और करदाताओं के प्रति सम्मान रखने की भावना के साथ राहत प्रदान करेगी।
आपको यह भी याद ही होगा कि देरी से फाइन होने वाले रिटर्न पर जो अधिकतक 10 हजार रुपये की लेटफीस का प्रावधान था, परन्तु जीएसटी परिषद की 47वीं बैठक में इस पर राहत देते हुए लेट फीस को स्लैब में बांट दिया गया। जिसको हमारे द्वारा दिसम्बर 20 को अपर मुख्य सचिव उ0 प्र0 के समक्ष रखा था।
यह भी आपको याद होगा कि 2020 एवं 2021 के लाॅकडाउन के दौरान मासिक रिटर्न जीएसटीआर-3बी पर लगने वाली लेटफीस आरोपण राशि पर भी राहत प्रदान की थी। उल्लेखनीय है कि लम्बित मासिक रिटर्न जीएसटीआर-3बी को दाखिल करने पर प्रतिमास 10 हजार लेटफीस लग रही थी, लेकिन 2020 में रुपये 500 प्रतिमास और 2021 में 1,000 प्रति मास की लेटफीस जमा करने लम्बित मासिक रिटर्न जीएसटी आर-3बी को दाखिल करने की सुविधा प्रदान करते हुए एमनेस्टी स्कीम लागू की थी।
अन्य बिन्दुओं पर दृष्टि डाले तो जून 2017 में करदाता के पास बचे स्टाॅक पर जो आई.टी.सी. क्लेम होना था, लेकिन अज्ञानतावश अथवा भूलवश क्लेम होने से रह गई थी, उसको भी माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर 30 नवम्बर तक क्लेम करने की सुविधान प्रदान की।एक ओर सुविधा प्रदान की कि पहले पिछले वर्ष की लम्बित आई.टी.सी. को क्लेम करने की सुविधा थी कि 30 सितम्बर तक क्लेम की जा सकती थी लेकिन अब इसकी अंतिम तिथि बढ़ा कर 30 नवम्बर तक कर दी गई, इस राहत की भी सराहना करनी चाहिए।
लेकिन हम सरकार का ध्यान आकृष्ट करना चाहते हैं कि अभी तक सरकार ने देश के छोटे करदाताओं पर अपनी राहतभरी दृष्टि नहीं डाली है, लेकिन हमारे द्वारा लगातार पत्राचार किया गया। आप में बहुत सी पीड़ित हैं कि है छोटे व्यापारी, जिनके द्वारा कम्पोजिशन योजना लेकर व्यापार कर रहे हैं, उनको वार्षिक रिटर्न जीएसटीआर-4 दाखिल करना था, परन्तु 2018 में राहत देते हुए cmp-o8 के माध्यम से चालान जमा करने की सुविधा प्रदान की, तत्पश्चात 31 जुलाई तक जीएसटीआर-4 को अंतिम रुप से दाखिल करने की व्यवस्था बनाई और वार्षिक रिटर्न जीएसटीआर-9ए को आॅप्शनल कर दिया, जीएसटीआर-4 को दाखिल करने की अंतिम तिथि को अंतिम दिनों में विस्तार कर दिया था, यदि हम बात करें जीएसटीआर-10 की, जिसमें ऐसी फॅर्म, जिनके द्वारा अपना व्यापार बंद कर दिया है, और उसको अंतिम बहीखातों की जानकारी जीएसटीआर-10 में अपलोड करना होता था, दाखिल न करने की स्थिति में उस पर 10 हजार लेट फीस आज भी आरोपित हो रही है, इसी क्रम में पुराने लम्बित जीएसटीआर-4 को दाखिल करने में भी लेटफीस 10 हजार की लेब्फीस पोर्टल मांग रहा है तपश्चात ही अगला जीएसटी आर-4 एवं जीएसटीआर-10 दाखिल कर सकेंगे।
इस क्रम में हमारे द्वारा माननीय वित्त मंत्री एवं जीएसटी परिषद को पत्र के माध्यम से मांग की जा चुकी है कि दोनों लम्बित रिटर्नस् को दाखिल करने की सुविधा प्रदान की जानी चाहिए, साथ ही मांग यही की है कि दोनों रिटर्न को दाखिल करने के छोटे करदाताओं को प्रोत्साहित करने के लिए ‘एमनेस्टी स्कीम’ को लागू करते हुए लेटफीस को स्लैब में परिवर्तित करते हुए लागू करें।
यदि सरकार दोनों रिटर्न पर यदि ‘एमनेस्टी स्कीम’ को लागू करते हुए लेटफीस को स्लैब में परिवर्तित करते हुए घोषणा करती है कि हमको विश्वास है कि सरकार को दोतरफा राजस्व का लाभ होगा, जिसमें पहला जीएसटीआर-4 एवं जीएसटीआर-10 को दाखिल होने वाला टैक्स के रुप में रुका हुआ ‘राजस्व’ है, वह प्राप्त होगा। साथ 10 हजार प्रति लेटफीस जो कि अत्याधिक है और इस कारण से पिछले एवं चालू वित्तीय वर्ष के रिटर्न दाखिल नहीं हो पा रहे हैं लेकिन एमनेस्टी स्कीम के तहत लागू होने वाले स्लैब लेटफीस के चलते लेटफीस के मद में भी राजस्व प्राप्त होने लगेगा।
एब महत्वपूर्ण बिन्दु यह भी है कि ऐसे बहुत से व्यापारी है, जोकि लेटफीस के लगने के कारण व्यापार करने में असमर्थ पा रहे हैं, हां हम कह सकते हैं, वह लोग व्यापार तो कर रहे हैं, क्यांेकि जीवनयापन करना है, लेकिन पंजीकृत करदाता के रुप में न करते हुए बल्कि अपंजीकृत रुप से व्यापार कर रहे हैं, जिसके चलते सरकार को प्राप्त होने वाला राजस्व टैक्स के रुप में नहीं मिल पा रहा है।
इसके साथ ही ऐसे अन्य बहुत सी परेशानियों के साथ एक्ट में ऐसी विसंगतियां आज भी हैं, जिन पर खुले दिल से और खुले मन से सरकार को ध्यान देना चाहिए, ताकि भारत में ‘सुगम व्यापार’ के समर्थन एवं सुविधा के साथ व्यापारिक वातावरण पैदा हो सके। सर्वविदित है कि जितने कड़े एवं दंडात्मक कानूनों को बनाया जाएगा, उतना ही करचोरी की संभावना बढ़ती जाती है लेकिन जिनका सरल, विश्वसनीय पूर्ण कानून एवं व्यवस्था होगी, उतना की फलना-फूलने वाला व्यापारिक वातावरण होगा, सरकार को टैक्स के रुप में राजस्व प्राप्त करना, उद्देश्य है न कि दंड देना अथवा सजा देना।
–पराग सिंहल