नहर क्षतिग्रस्त, कैसे हो ग्रामीण किसानों की गेंहूं की बुवाई….

उत्तराखंड/देहरादून-प्रखण्ड रिखणीखाल क्षेत्र के ग्राम पंचायत कोटड़ी की चौंफुल कतेड़ागाड से बनी तीन किलोमीटर लम्बी सिंचाई गूल तथा काण्डा नाला की मन्दाल नदी से आठ किलोमीटर लम्बी सिंचाई गूल की स्थिति ठीक नहीं होने पर किसानों के सम्मुख संकटासन्न हो गया है। जहां काण्डा नाला की सम्पूर्ण नहर पर मलबा भरने से व जगह जगह रिसाव के कारण पानी की आपूर्ति बाधित हो रही है वहीं कोटड़ी में नहर का लगभग पन्द्रह मीटर तक हिस्सा धंसकर जमींदोज हो गया है। विगत दो माह पूर्व मलबा ढहने से नहर भी चपेट में आ गई जिससे सिंचाई हेतु लोगों ने प्लास्टिक पाइप लगवाकर जुगाड़ किया लेकिन वह भी टूट गया।अब गेहूं की बुवाई कार्यक्रम हो रहा है ऐसे में खेतों में पानी देकर हल से केशनलियां तोड़कर बुवाई के लायक बनाया जाता है।कृषक बीरेंद्र सिंह, रवींद्र रावत सतेंद्र पटवाल आदि का कहना है कि जब तक नहर का काम शुरू होता है तब तक के लिए पुनः छः इंच का पाइप लगाकर जुगाड़ किया जाता है तो कुछ हद तक काम चलाया जाएगा।
उक्त प्रकरण पर क्षेत्र पंचायत सदस्य कर्तिया बिनीता ध्यानी ने कहा कि सम्बन्धित विभाग कैनाल दुगड्डा के अधिशासी अभियंता विक्रम सिंह रावत को कृषकों की समस्या के निदानार्थ मलबा सफाई, रिसाव बयान कराने व क्षतिग्रस्त नहर पर वैकल्पिक व्यवस्था हेतु कहा गया है शीघ्र ही अवश्यंभावी निराकरण हो जायेगा।प्रकरण की गम्भीरता को देखते हुये अधिशासी अभियंता सिंचाई खण्ड दुगड्डा द्वारा एक दो दिन में कार्रवाई का भरोसा दिया है।

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