बरेली – सरकार के पारदर्शी शासन व्यवस्था के दावे महज़ खोखले साबित हो रहे, अफसरशाही नही बदल पा रही अपना भ्रष्ट चेहरा और चरित्र ,
एक तरफ प्रदेश की योगी सरकार भ्रष्टाचार मुफ्त शासन और बेहतर सुविधायें देने के साथ प्रदेश के हालात बदलने का दंभ भरती है, तो वहीं दूसरी तरफ सरकारी विभागों मे लापरवाही व रिश्वतखोरी की घटनाएं सरकार के दावों को खोखला साबित करने के लिए काफी हैं।एक बार फिर सरकार के दावों की पोल खोलती तस्वीर बरेली जिले के डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की सामने आई है। यहां अस्पताल में भर्ती एक मरीज़ से डॉक्टरों ने 15 हजार रूपये की रिश्वत लेने के बाद मरीज के परिजनों ने इलाज नहीं करने का संगीन आरोप लगाया है।
जिला अस्पताल के हड्डी रोग विभाग मे एडमिट मरीज राजन की पत्नी अरूण मैसी ने अस्पताल के डॉक्टरों को दो दिन पहले 15 हजार रूपये लेकर भर्ती करने के बाद अपने पति राजन का इलाज किये बगैर अस्पताल से छुट्टी करने का आरोप लगाते हुए बरेली के वरिष्ठ समाजसेवी नदीम शम्सी से इस मामले की शिकायत की है।समाजसेवी नदीम शम्सी से पीड़ित राजन की पत्नी ने शिकायत करते हुए बताया कि उसके पति को तीन दिन पहले मोटरसाइकिल चलाते वक्त चोट लगने पर बरेली के डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल मे एडमिट कराया गया था।जहाँ हड्डी रोग विशेषज्ञ डा.शिवदत्त तथा डा.संजय ने ऑपरेशन के नाम पर पन्द्रह हज़ार की डिमांड की।उन्होंने बताया कि पति के खातिर उन्हने 15 हजार रूपये की रिश्वत इन डॉक्टरों को दे दी।जिसके बाद उन्हें हड्डी रोग विभाग मे भर्ती करने के बाद उनका आपरेशन कर दिया।ऑपरेशन के तीसरे दिन डॉ.शिवदत्त व संजय अस्पताल नहीं आये और उनकी जगह पर डॉक्टर दिनेश कुमार ने उनसे अपने पति को घर ले जाने के लिए कहा,जिस पर उन्होंने अपने पति की तबियत का हवाला देते हुए कहा कि उनके पति न तो उठ पा रहे हैं और न ही दर्द कम हुआ है।राजन की पत्नी ने आरोप लगाया कि डा.दिनेश ने इस पर उसके साथ दुर्व्यवहार किया और अपशब्द कहकर उसके पति की छुट्टी कर दी।पीड़ित की पत्नी की शिकायत पर समाजसेवी नदीम शम्सी से जिला अस्पताल के सीएमएस से इसकी शिकायत कर रिश्वत लेने बाले डॉक्टरों के विरुद्ध कार्रवाई करने की मांग की है।इस संबंध मे सीएमएस से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उनका नम्बर नॉट रीचेबल था।
बरेली से संवादाता डॉक्टर मुदित प्रताप सिंह की रिपोर्ट