जीत के बाद बोले मोदी- वादा था होली 10 मार्च से होगी: हुआ पूरा

*UP के प्यार ने मुझे यूपीवाला बना दिया, महिलाओं का आभार

दिल्ली- 4 राज्यों में जीत की शाम दिल्ली भाजपा कार्यालय में गुलजार हुई. प्रधानमंत्री मोदी सिर से पांव तक फूलों की पंखुड़ियों और मालाओं के बीच दफ्तर पहुंचे. चारों ओर एक जैसी ही आवाज थी भाजपा, भारत और मोदी… और फिर स्वागत है, स्वागत है, स्वागत है. इनके, उनके सबके बोल लेने के बाद मोदी आए और कहते गए.

भारत माता की जय, भारत माता की जय… आज उत्साह का दिन है. उत्सव का दिन है. ये उत्सव भारत के लोकतंत्र के लिए है. मैं इन चुनाव में हिस्सा लेने वाले सभी मतदाताओं को बधाई देता हूं. हमारी माताओं, बहनों और युवाओं ने जिस तरह भाजपा को भरपूर समर्थन दिया है, वो अपने आप में बहुत बड़ा संकेत है. मुझे इस बात का भी संतोष है कि फर्स्ट टाइम वोटर्स ने बढ़चढ़कर मतदान में हिस्सा लिया और भाजपा की जीत पक्की की. चुनाव के दौरान भाजपा के कार्यकर्ताओं ने मुझसे वादा किया था कि इस बार होली 10 मार्च से ही शुरू हो जाएगी. हमारे कार्यकर्ताओं ने ये विजय ध्वज फहराकर इस वायदे को पूरा कर दिखाया है. उनकी भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं, जिन्होंने दिन रात देखे बिना इन चुनावों में काम किया और जनता का विश्वास जीतने में सफल रहे. कार्यकर्ताओं का जिन्होंने मार्गदर्शन किया, ऐसे हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष का भी अभिनंदन.

आज हमारे कार्यकर्ताओं ने जीत का चौका लगाया है. उत्तर प्रदेश ने देश को अनेक प्रधानमंत्री दिए थे, लेकिन 5 साल का कार्यकाल पूरा करने वाले किसी मुख्यमंत्री के दोबारा चुने जाने का ये पहला उदाहरण है. अभी नड्डा जी ने विस्तार से बताया कि उत्तर प्रदेश में 37 साल बाद कोई सरकार लगातार दूसरी बार सत्ता में आई है. तीन राज्य यूपी, गोवा और मणिपुर में सरकार में होने के बावजूद भाजपा के वोट शेयर में बढ़ोतरी हुई है. गोवा में सारे एग्जिट पोल गलत निकल गए और वहां की जनता ने हमें फिर से सेवा का मौका दिया। 10 साल सत्ता में रहने के बाद भी राज्य में भाजपा की सीटों की संख्या बढ़ी है. उत्तराखंड में भी भाजपा ने नया इतिहास रचा है. राज्य में पहली बार कोई पार्टी लगातार दूसरी बार सत्ता में आई है. सीमा से सटा एक पहाड़ी राज्य, एक समुद्र तटीय राज्य और एक मां गंगा का विशेष आशीर्वाद प्राप्त राज्य और पूर्वोत्तर सीमा पर एक राज्य… भाजपा को चारों दिशाओं से आशीर्वाद मिला है.

इन राज्यों की चुनौतियां भिन्न हैं. सबकी विकास की यात्रा का मार्ग भिन्न है लेकिन, एक सूत्र है भाजपा पर विश्वास, भाजपा की नीति, भाजपा की नीयत और भाजपा के निर्णयों पर अपार विश्वास. ये नतीजे भाजपा की प्रो पुअर, प्रो एक्टिव गवर्नेंस पर एक प्रकार से बड़ी मुहर है. पहले जनता अपने ही हक के लिए सरकार के दरवाजे खटखटाकर थक जाती थी. बिजली, पानी, टेलीफोन जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते थे, पैसे देने पड़ते थे. कुछ साधन संपन्न लोगों तक सुविधा के रास्ते अलग थे और पहुंच जाती थीं. देश में गरीबों के नाम पर बहुत योजनाएं बनी, लेकिन उनका जो हकदार था, जिस गरीब का उस पर हक था, उसे बिना परेशानी के लिए ये हक मिले.. इसके लिए गुड गवर्नेंस और डिलिवरी का महत्व होता है. भाजपा इस बात को समझती है. मैं लंबे अरसे तक मुख्यमंत्री का काम करके आया हूं. मुझे पता है कि आखिरी इंसान की सुख सुविधा के लिए कितनी मेहनत करनी चाहिए.

आज मैं महिलाओं, बहन, बेटियों को विशेष नमन करता हूं. चुनाव में उनका बड़ा योगदान है. ये हमारा सौभाग्य है कि भाजपा को बहनों, बेटियों और माताओं ने इतना स्नेह दिया, इतना आशीर्वाद मिला है, जहां-जहां महिला मतदाताओं ने पुरुषों के मुकाबले ज्यादा मतदान किया है, वहां भाजपा को बंपर जीत मिली है. हमारी माताएं, बहनें, बेटियां, स्त्री शक्ति भाजपा की जीत की साक्षी बनी हैं. मैं जब गुजरात में था, तब कभी-कभी ऐसी घटनाएं हो जाती थीं कि लोग चिंता करते थे कि मोदी जी आपकी सुरक्षा का क्या, अपने आपको संभालते क्यों नहीं हैं. मैं एक ही जवाब देता था कि कोटि-कोटि माताओं का, स्त्री शक्ति का सुरक्षा कवच मुझे मिला हुआ है. भारत की माताएं बेटियां निरंतर भाजपा पर विश्वास कर रही हैं. उनको पहली बार विश्वास मिला है कि सरकार उनकी छोटी से छोटी जरूरत को भी ध्यान में रखती है.

सभी ज्ञानियों को कहता हूं कि देश की भलाई के लिए पुरानी घिसी-पिटी चीजें छोड़कर नई चीजें सोचना शुरू कीजिए. इस देश के लिए बड़े दुख की बात है। मैं भी यह अनुभव करता था, जब ये ज्ञानी लोग यूपी की जनता को सिर्फ और सिर्फ जातिवाद के तराजू से तौलते थे और उसी दृष्टि से देखते थे. यूपी के नागरिकों को जातिवाद की बाड़ेबंदी में बांधकर उन नागरिकों और उत्तर प्रदेश का अपमान करते थे. कुछ लोग यूपी को यह कहकर बदनाम करते हैं कि यूपी में जाति ही चलती है. 2014, 2017, 2019 और 2022… हर बार यूपी के लोगों ने सिर्फ विकासवाद की राजनीति को ही चुना है. यूपी के लोगों ने इन लोगों को ये सबक दिया है. ये सबक उनको सीखना होगा. यूपी के गरीब से गरीब व्यक्ति ने, हर नागरिक ने सबक दिया है कि जाति की गरिमा, जाति का मान, देश को जोड़ने के लिए होना चाहिए, तोड़ने के लिए नहीं. ये चार-चार चुनावों में करके दिखाया है. आज मैं यह भी कहूंगा कि 2019 के चुनाव नतीजों के बाद कुछ पॉलिटिकल ज्ञानियों ने कहा था कि 2019 की जीत में क्या है, ये तो 2017 में ही तय हो गई थी, क्योंकि 2017 में यूपी का रिजल्ट आया था. मैं मानता हूं कि इस बार भी ये ज्ञानी जरूर कहने की हिम्मत करेंगे कि 2022 के नतीजों ने 2024 के नतीजे तय कर दिए हैं.

– सहारनपुर से सुनील चौधरी

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